Exit Load क्या है,Exit Load क्यों लगाया जाता है,Mutual Fund में Exit Load,Mutual Fund में Exit Load का कैलक्युलेशन,विभिन्न प्रकार के म्युचुअल फंड से बाहर निकलने वाला एक्जिट लोड,Sip पर Exit Load,निष्कर्ष
म्यूचुअल फंड्स, निवेशकों से लिए गए निवेश(पैसों) का एक पूल यानि ‘सामूहिक कोष’ होता है,जिसमें निवेश करने वालों का उद्देश्य एक ही होता है.अकेले ही इन विशाल फंड्स का प्रबंधन करना किसी व्यक्ति या निवेशक के लिए काफी मुश्किल होता है; ऐसे में एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ (AMC) हमारे मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं.
ये एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ/AMC निवेशकों द्वारा प्राप्त धन का प्रबंधन करती हैं.निवेशकों के निवेश पर प्रॉफ़िट या लॉस को सुनिश्चित करने का काम ये एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ ही करती हैं.
जब भी कोई निवेशक किसी म्यूचुअल फंड के किसी स्कीम की यूनिट्स से बाहर निकलता है या उसे कम करता है(बेंचता है),तो ये AMC कंपनियाँ एक निश्चित राशि शुल्क के रूप में अपने निवेशकों से वसूलती हैं। इस शुल्क को एक्जिट (exit) लोड कहा जाता है.साधारण भाषा में कहा जाए तो आप जब-जब अपने म्यूचुअल फंड्ज की यूनिट्स को बेचेंगे तब-तब आपको एक्ज़िट लोड चुकाना पड़ेगा.
Exit Load क्या है,Exit Load क्यों लगाया जाता है-
एसेट मैनेजमेंट कंपनियां म्यूचुअल फंड की यूनिट्स को बेचते समय निवेशक से एक्जिट लोड के रूप में जो शुल्क लेती है,उसके पीछे का प्रमुख कारण यह है की निवेशक को लॉक-इन अवधि समाप्त होने से पहले ही अपने निवेश को म्यूचुअल फ़ंड की स्कीम से बाहर निकलने से रोकना है या फिर यू कह लें की अपने म्यूचुअल फंड्ज की यूनिट्स को बेंचने से हतोत्साहित करना है. इसके अतिरिक्त, एक्जिट लोड(शुल्क)म्यूचुअल फंड की योजनाओं से निकासी की फ्रिक्वेन्सी/बारंबारता को भी कम करता है(यानी बार-बार रिडीम करने को हतोत्साहित करता है)हालांकि,सभी म्यूचुअल फंड्ज स्कीम निवेशकों पर एक्जिट लोड नहीं लगाते हैं. इसलिए,आपको निवेश करने के लिए म्यूचुअल फ़ंड स्कीम का चुनाव करते समय एक्जिट लोड का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
Mutual Fund में Exit Load-
म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड आम तौर पर म्यूचुअल फंड के नेट एसेट वैल्यू (NAV) का 1%(प्रतिशत)होता है.NAV एक इकाई (unit)का शुद्ध मूल्य है.NAV की गणना=टोटल एसेट्स/टोटल नंबर ऑफ यूनिट्स के रूप में की जाती है.आमतौर पर,AMC कुल NAV से बाहर निकलने का शुल्क काटते हैं और शेष राशि निवेशक के खाते में जमा हो जाती है.
उदाहरण के लिए,यदि एक साल की स्कीम पर लगाया गया एग्जिट लोड 2% है और 4 महीने के भीतर ही इसे बेंचा जाता है,जो कि निवेश की स्वीकृत अवधि यानि लॉक-इन अवधि से बहुत पहले होगा. तो,यहां एक एक्जिट लोड अप्लाई होगा.
मान लेते हैं की रिडेम्पशन(यूनिट्स बेंचते समय) के समय यदि किसी म्यूचुअल फंड के स्कीम की NAV 100/- रुपए है,और बाहर निकलने यानि एक्ज़िट लोड का शुल्क 2% है, तो 100 का 2% जो कि 2/-रुपए के बराबर है.इस राशि को NAV से घटाने के बाद, जो (100-2=98)98/-रुपए होगा,निवेशक को दिया जाता है.
इसके अलावा,यदि निवेशक निर्धारित समय सीमा के बाद Redemption करता है तो उसे किसी प्रकार के एक्जिट लोड देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
Mutual Fund में Exit Load का कैलक्युलेशन-
एक्जिट लोड की दरें म्यूचुअल फंड के प्रकार पर निर्भर करती हैं; अलग-अलग म्यूचुअल फंड अलग-अलग एक्जिट लोड निवेशकों से वसूल करते हैं.
मान लीजिए कि एक निवेशक ने जनवरी 2020 में किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में 30,000/-रुपए का निवेश किया,अगर 1 साल से पहले निवेशक ने अपने म्यूचुअल फंड्ज की यूनिट्स को रिडीम किया और उस म्यूचुअल फंड्ज स्कीम के प्लान में 1% का एग्जिट लोड होता है तो अगर NAV 100/- रूपए है तो इसका अर्थ है कि निवेशक के पास 300 यूनिट्स हैं.
अब,यदि निवेशक 4 महीने के बाद, मई 2020 में यूनिट्स को रिडीम करना चाहता है, तो इस मामले में निवेशक,निम्नलिखित गणना के अनुसार एक्जिट लोड का भुगतान करेगा-
जनवरी 2020 में 30,000/-रुपए की राशि निवेश की गई
निवेश के समय NAV -100/-रुपए का था
कुल यूनिट्स =30000/100 = 300 खरीदी गईं
Redemption के समय अगर NAV-90/-रुपए है
तो एक्जिट लोड एक प्रतिशत के हिसाब से 1% (90 * 300)=27000/100=270/-रुपए का हुआ.
अंतिम Redemption राशि 300*90=27000-270 = 26730/-रुपए होगी.जो की निवेशक के बैंक खाते में भेज दी जाएगी.
इस उदाहरण से आप समझ गए होंगे की अगर NAV बढ़ेगी तो एक्जिट लोड भी बढ़ेगा और NAV घटेगी तो एक्जिट लोड भी घटेगा.
विभिन्न प्रकार के म्युचुअल फंड से बाहर निकलने वाला एक्जिट लोड –
अलग-अलग म्यूचुअल फंड एक्जिट लोड की अलग-अलग दरें वसूलते हैं। हालांकि, सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों पर एक्जिट लोड नहीं लगाते हैं.यह सलाह दी जाती है कि जिन म्यूचुअल फंड स्कीमों में आप निवेश करना चाहते हैं,उनके एग्जिट लोड की जांच करें.म्यूचुअल फंड्स की कुछ दरें जैसे-एक्जिट लोड,एक्सपेंस Ratio को देखना अति आवश्यक है.
- लिक्विड फंड्स पर कोई एंट्री या एग्जिट लोड नहीं है। इसका मतलब यह है कि निवेशक जब चाहें निवेश को बेंच कर उस स्कीम से निकल सकते हैं और अगले दिन उनके बैंक खातों में पैसा जमा हो जाएगा.
- डेट फंड का एक्जिट लोड हो भी सकता है और नहीं भी.यह निर्भर करता है विभिन्न एसेट मैनेजमेंट कंपनियों पर.
SIP पर Exit Load-
SIP के माध्यम से निवेश करते समय अधिकांश निवेशक आमतौर पर ‘एग्जिट लोड’ की अवधारणा को समझने के लिए आतुर रहते हैं.निवेशकों की एक आम धारणा है कि अगर उन्होंने एक साल पहले कोई एस.आई.पी शुरू किया है,तो उन्हें किसी भी एग्जिट लोड का भुगतान नहीं करना पड़ेगा अगर वे लॉक-इन की समयावधि के भीतर अपने म्यूचुअल फंड्ज की यूनिट्स को बेचते हैं. जबकि तथ्य यह है कि, अधिकांश निवेशक गलत सोच रहे होते हैं.ऐसा क्यूँ आईए जानते हैं.
दरअसल, SIP पर एक्जिट लोड को अन्य सभी म्यूचुअल फंडों के समान माना जाता है.प्रत्येक SIP किस्त के पूरा करने के लिए 12 महीने की समयावधि आवश्यक है। उदाहरण के लिए, यदि आपने दो साल के लिए एस.आई.पी. के माध्यम से किसी म्यूचुअल फ़ंड की स्कीम में निवेश किया है,तो आपको एक और साल इंतजार करने की जरूरत है,यानी एक्जिट लोड से छुटकारा पाने के लिए कुल मिलाकर तीन साल का समय लगेगा.
साधारण शब्दों में कहा जाए तो हर SIP की किश्त को 12 महीने की लॉक-इन की समयावधि को पूर्ण करना अति आवश्यक है तभी आप EXIT LOAD से बच सकते हैं.आप इतना जरूर कर सकते हैं की जिन भी SIP किश्तों के 12 महीने पूरे हो गए हो उन-उन किश्तों को आप टुकड़ों में रिडीम कर सकते है.ऐसा करके भी आप EXIT LOAD से बच सकते हैं.
निष्कर्ष-
- एक निवेशक को निवेश करते समय एक्जिट लोड के प्रति जागरूक रहना चाहिए.म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करने से पहले आपको सावधानी बरतनी चाहिए.
- कोई भी निवेशक अनजाने में एक्जिट लोड के रूप में कभी जुर्माना नहीं देना चाहेगा.
- एक्ज़िट लोड आपके और आपके नियोजित निवेशों पर एक प्रकार का टोल टैक्सहै.
- यदि आप विवेकपूर्ण तरीके से अपने म्यूचुअल फंड्ज की यूनिट्स की बिक्री की योजना बनाते हैं तो इससे बचा जा सकता है.
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इस पोस्ट में इतना ही, पोस्ट को पूरा पढ़ने और अपना कीमती समय देने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद ! मिलते हैं नेक्स्ट पोस्ट में,तब तक के लिए नमस्कार.
FAQ
Q.Exit Load क्या है?
ANS-जब भी कोई निवेशक किसी म्यूचुअल फंड के किसी स्कीम की यूनिट्स से बाहर निकलता है या उसे कम करता है(बेंचता है),तो ये AMC कंपनियाँ एक निश्चित राशि शुल्क के रूप में अपने निवेशकों से वसूलती हैं। इस शुल्क को एक्जिट (exit) लोड कहा जाता है.
Q.Exit Load कितना लगता है?
ANS-EXIT LOAD म्यूचुअल फंड्ज की स्कीम पर निर्भर करता है,लेकिन इसकी प्रचलित दर 1% के लगभग है.
Q.क्या Exit Load की दर फिक्स होती है?
ANS-नहीं,EXIT LOAD कभी भी घटाया या बढ़ाया जा सकता है.
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Nice information
अच्छी जानकारी👌